अक्स को अपने
सर्द रातों में
चाँदनी
बर्फ बन ढली है
या
पिघल कर
चाँद उतर आया है
झील में !
अकेला हंस
तकता है-
अक्स को अपने
***
सर्द रातों में
चाँदनी
बर्फ बन ढली है
या
पिघल कर
चाँद उतर आया है
झील में !
अकेला हंस
तकता है-
अक्स को अपने
***
तुम हो तो
तुम हो तो
मौसम का
मखमली अहसास
गुदगुदाता है
जाने क्या बात हुई?
मौसम का मिजाज़
कुछ बदल रहा है
ठहर सी गई है लालिमा
सिन्दूरी बिंदी में तुम्हारी
जबकि
सूरज कब का ढल चुका है
एक कप
चाय की प्याली में
***
तुम हो तो
मौसम का
मखमली अहसास
गुदगुदाता है
जाने क्या बात हुई?
मौसम का मिजाज़
कुछ बदल रहा है
ठहर सी गई है लालिमा
सिन्दूरी बिंदी में तुम्हारी
जबकि
सूरज कब का ढल चुका है
एक कप
चाय की प्याली में
***
रात की चौखट पर
सूरज ने
दस्तक दी है
दिशाएँ शर्मा कर
सुर्ख हो गईं
पंछी भी
खिलखिलाकर हंस पड़े
उजाले ने
सारा राज़ खोल दिया
रात शर्मा कर
छुप गई है
क्षितिज के उस पर
सूरज ने
दस्तक दी है
दिशाएँ शर्मा कर
सुर्ख हो गईं
पंछी भी
खिलखिलाकर हंस पड़े
उजाले ने
सारा राज़ खोल दिया
रात शर्मा कर
छुप गई है
क्षितिज के उस पर
***
(चित्र साभार- गूगल)
नरेन्द्र भाई सबसे पहले इस खूबसूरत ब्लॉग के आगाज़ के लिए बहुत बहुत बधाई...मेरी कामना है ये ब्लॉग सालों साल सफलता पूर्वक चले और चर्चित हो...
ReplyDeleteतीनों रचनाएँ बहुत अच्छी हैं "तुम हो तो" मुझे बहुत ही अच्छी लगी...वाह...शितिज़ के उस पार में एक पंक्ति "सारा राज़ खिल दिया" में शायद खोल की जगह खिल टैप हो गया है उसे ठीक कर लें.
एक बार फिर ढेरों बधाइयाँ
नीरज
अमनदीक्षा में अमन की दीक्षा मिले .... तीनों क्षणिकाएँ बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण हैं . इस आरम्भ के लिए आशीर्वाद
ReplyDeleteक्या बात है.. बहुत खूब
ReplyDeleteशुक्रिया सम्मानिया दीपिका जी, आभार !
DeleteRashmi di ke share karne se yahan pahucha..
ReplyDeleteaur jab di ne share kiya hai to behtareen to honi hi thi:)
शुक्रिया सम्मानीय मुकेश जी. आपका तहेदिल से आभारी हूँ. आपने सही कहा, दी का आशीर्वाद तो सदा भरपूर मिला है और मिलता रहेगा..
Deleteबहुत सुंदर तीनों ......भावपूर्ण ....!छोटी कविता आकार में .....हमेशा भायी है मुझे ...कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाती है ...शुभकामनाएं
ReplyDeleteतीनों क्षणिकाएँ बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण हैं .... !!
ReplyDeleteनये आरम्भ के लिए बधाई और शुभकामनाएं .... :))
PRIY NARENDRA JI , AAPKEE KAVITAAYEN MAIN BADE MANOYOG SE PADH
ReplyDeleteGYAA HUN . AAPNE TO GAAGAR MEIN SAAGAR BHAR DIYAA HAI .
NAYE BLOG KEE KHUSHEE MEIN MEREE BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .
मेरी बधाई और शुभकामनाएं स्वीकार करें।
ReplyDeleteनरेन्द्र जी को आशीर्वाद।
ReplyDeleteएक उचित फैसला।
कविताएं एक से बढ़कर एक
किंतु नीचे के क्रम में।
सम्मानिया अंजु जी, विभा जी, सम्मानीय प्राण सर, सुभाष जी सर और अविनाश सर, आपका कोटि-कोटि आभार. नमन !
ReplyDeleteवाह नरेन्द्र ! वाह !
ReplyDeleteबहुत शानदार ब्लोग !
बहुत प्यारी कविताएं !
तीनों कविताएं बेहतरीन !
एक से बढ़कर एक !
आकार में छोटी मगर संवेदन एवम
बुनघट में बहुत बडी़ !
कम शब्दों में भी बहुत कुछ कहती है!
मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं !
हमेशा जय हो !
bahut sunder blog hai bahut bahut badhai .kshanikayen bahut sunder ban padi hai .
ReplyDeleteshubhkanmnayen
rachana srivastava
बहुत सुंदर रचनाएँ, बधाई और शुभकामना नए ब्लॉग के लिए।
ReplyDeleteशुक्रिया सम्मानीय ओमजी, नीलेशजी और सम्मानिया रचना जी. आभार !
Deleteआज 4/09/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह.....
ReplyDeleteबहुत बहुत खूबसूरत रचनाएँ.....
अनु
वाह...
ReplyDeleteबहुत खूब |
ReplyDeleteஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
नाम के अनुरूप बहुत सुन्दर ब्लॉग. सभी रचनाएं भावपूर्ण. शुभकामनाएँ.
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